وَالشَّمْسِ وَضُحَاهَا﴿1﴾
सूर्य की क़सम और उसकी चमक की।
وَالْقَمَرِ إِذَا تَلَاهَا ﴿2﴾
चाँद की क़सम जब वह सूरज के पीछे चलता है।
وَالنَّهَارِ إِذَا جَلَّاهَا﴿3﴾
दिन की क़सम जब वह [पृथ्वी] को रोशन करेगा
وَاللَّيْلِ إِذَا يَغْشَاهَا ﴿4﴾
रात की क़सम जब इसे ढकती है।
وَالسَّمَاءِ وَمَا بَنَاهَا﴿5﴾
क़सम है आसमान की और उसको उठानेवाले की,
सूरा शम्स
3491560